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कलयुग में सतयुग का सामान
परम रासायन लक्ष्मी पार्वती अश्रु उत्पन्न निरंकार आंवला चूर्ण व वटी
1) हमारा ध्येय- कलयुग में सतयुग की याद करवाना, हजारों वर्षों पुरानी खोई आयुर्वेद की चमत्कारिक शक्तियों का फिर से आभास करवाना जो दुर्भाग्यवश लालची व स्वार्थी मानव स्वभाव के कारण पूर्ण रूप से नस्ट हो चुकी है...
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Weight | 100 gm |
कलयुग में सतयुग का सामान
परम रासायन लक्ष्मी पार्वती अश्रु उत्पन्न निरंकार आंवला चूर्ण व वटी
1) हमारा ध्येय- कलयुग में सतयुग की याद करवाना, हजारों वर्षों पुरानी खोई आयुर्वेद की चमत्कारिक शक्तियों का फिर से आभास करवाना जो दुर्भाग्यवश लालची व स्वार्थी मानव स्वभाव के कारण पूर्ण रूप से नस्ट हो चुकी है।
2) प्राचीन ग्रंथों के अनुसार आंवले की उत्पत्ति -: आंवले को आयुर्वेद में समस्त रसायन औषधियों का पिता कहा जाता है। आयुर्वेद के स्तम्भ महर्षि चरक का कथन है की संसार में अवस्था स्थापक,सदा जवान रखने वाले व बुढ़ापे से दूर रखने वाले जीतने भी द्रव्य है उन सब में आंवला सब से प्रधान है। आइए हम आपको आंवले के बारे में वह रोचक व दिव्य कथा बताते है जो शयद चंद लोग ही जानते है। अमृत फल आंवले की उत्पत्ति माता लक्ष्मी व पार्वति जी के अश्रुओं से मानी जाती है,एक पुण्य दिन की बात है माँ भगवती,पार्वती व लक्ष्मी प्रभास तीर्थ को गई थी ,माँ पार्वती ने लक्ष्मी जी से कहा -हे देवी !आज हम सर्वकल्पित किसी नूतन द्रव्य से हरी का पूजन करना चाहती है ,लक्ष्मी जी ने कहा- की हम भी किसी नूतन द्रव्य से हरी का पूजन करना चाहती है। बस इतना कहते ही दोनों माताओं का ह्र्दय भक्ति भाव से भर गया व दोनों की आँखों से आनंद अश्रू बहकर भूमि पर गिरने लगे और उन्ही पवित्र आसुओं से माघ -शुकल एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई व दोनों माताओं ने अवले के अमृत फल द्वारा अपने इष्ट की आराधना की जिसको देख कर देवता व ऋषि -मुनि भी आनंद से पुलकित हो उठे,तभी से देवी -देवताओं से जुड़े इस नूतन अमृत आँवला फल को प्रभु श्री के चरणों का प्रसाद मानकर हज़ारो वर्षो से देवी - देवता,ऋषि - मुनि ,वैद्य ,रोगो व स्वस्थ व्यक्ति सभी इसका सेवन करते आ रहे है।
3) मात्र निरंकार आंवला चूर्ण व वटी ही खाने योग्य क्यों-?
क्या आप जानते है कि सर्वगुण सम्पन्न लक्ष्मी पार्वती अश्रु उत्पन्न जंगली व दिव्य वह पुरातन आंवला बाजार में उपलब्बध नहीं है।आप जिस हरे आंवले का सेवन कर रहे है वह अश्रु फल नहीं अपितु आदमी की कलाकारी का एक नमूना है। आंवले का फल अधिक बड़ा व मोटा कभी नहीं होता यह मध्यम आकार का गोल व कमरख की तरह गहरी रेखाओं से अंकित होता है व सारे फल पर सफेद रंग के छोटे – छोटे धब्बे साफ दिखाई देते है। यह आंवला हम नेपाल व सतपुड़ा के आदिवासी समुदाय से एकत्रित कर साफ सफाई व गले सड़े फलों को हटाकर पूर्णत: गुठली रहित करते है। हम वही मां पार्वती के अश्रुओं से उत्पन्न शुद्ध जंगली आंवला आप तक पहुंचा रहे है। निरंकार हर्ब्स द्वारा तैयार आंवला पावडर व आंवला वटी दिव्य गुणों से भरपूर है व पूर्णत: खाद, कैमिकल, परीजरवेटीव, टैलकम पावडर, कैमिकल बौंडिंग, धूल- मिट्टी, गुठली व अशुद्धता से पूर्णत: मुक्त है। हमारे बड़े कठिन प्रयासों द्वारा यह उत्पाद हम आप तक सदा स्वस्थ रहने हेतु पहुँचा रहे हैं।
हमारा ध्येय मात्र शुद्धता है, बस शुद्धता । जंगली आंवले जो माँ पार्वती जी के अश्रुओं से उत्पन्न माने जाते है व जिनके पेड़ भी स्वत: पैदा हुए है, उन पूजनीय व दिव्य आंवलों में उगाए गए बड़े – बड़े कलमी आंवलों के बनसपत 100 गुणा अधिक गुण होता है। आप यकीन मानीए अभी तक आपने असली आंवला तो खाया ही नहीं,तब आयुर्वेद में लिखे आंवले के समपूर्ण गुणों को आप कैसे प्राप्त कर पाएंगे। यह विश्व में पहला प्रयास निरंकार हर्ब्स द्वारा मानव के पूर्ण कल्याण हेतु व शुद्ध से शुद्ध औषधियों के प्राप्त कराने हेतु किया गया है।