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रामैरो डी.एस अर्थात रोग प्रतिरोधतक क्षमता की खान, और रोग प्रतिरोधक क्षमता ही हमारे जीवन का आधार है। निरंकार हर्ब्स द्धारा निर्मित यह रामैरो डी. एस नामक योग काबिल वैद्यों के अथक प्रयास का व शोध का नतीजा है,जिसे ख़ास जड़ी बूटियों के शुद्धतम सत्वों द्धारा तैयार किया जाता है। इस दवा को बनाने का मुख्य मकसद बिगड़े हुए वात ,पित्त व कफ के बैलेंस को दोबारा सामान्य स्तिथि में ले आना है..
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आपके स्वास्थय
रामैरो डी.एस अर्थात रोग प्रतिरोधतक क्षमता की खान, और रोग प्रतिरोधक क्षमता ही हमारे जीवन का आधार है। निरंकार हर्ब्स द्धारा निर्मित यह रामैरो डी. एस नामक योग काबिल वैद्यों के अथक प्रयास का व शोध का नतीजा है,जिसे ख़ास जड़ी बूटियों के शुद्धतम सत्वों द्धारा तैयार किया जाता है। इस दवा को बनाने का मुख्य मकसद बिगड़े हुए वात ,पित्त व कफ के बैलेंस को दोबारा सामान्य स्तिथि में ले आना है ,सामान्य स्तिथि में दवा का सेवन करने पर दवा वात ,पित ,कफ का बैलेंस बनाने में पूरणतः सक्षम है, तीनों के समान होने से स्वतः ही शरीर इम्युनिटी व शक्ति का भंडार बन जाता है,रामैरो डी.एस में किसी भी प्रकार के केमिकल्स,अप्राकृतिक पदार्थ,प्रेसेर्वटिवेस का प्रयोग नहीं किया गया है।यह ख़ास आयुर्वेदिक मिश्रण पूरणतः दुष्प्रभाव रहित है,औषधि का निर्माण सर्व रोग हरण के उद्देश्य से किया गया है,शायद ही ऐसा कोई रोग हो जिस पर यह औषधि अपना सकरात्मक प्रभाव ना दिखाए और बुखार की तो बात ही न पूछो,बड़े से बड़े बुखार पर पुर-जोर प्रहार करती है।युरिक एसिड के दर्दो में भी यह जॉइंट्स पैन को ही दूर नहीं करती अपितु रोग को जड़-मूल से उखाड़ फेकने का भी कार्य करती है। रामैरो डी. एस को वात विकारों में,पित्त विकारों में ,कफ़ विकारों में सामान्यतः सुबह खाली पेट 2 कैप्सूल्स जल अनुपान से व शाम 2 कैप्सूल दूध व जल अनुपान द्धारा दिया जा सकता है,या अलग- अलग विकारों में बीमारी के अनुसार और औषधियों व पदार्थो के प्रयोग द्धारा चिक्त्सिक की सलाह से भी लिया जा सकता है। आयुर्वेदिक दवाएं यदि पुरातन ऋषि मुनियों के उपदेशा अनुसार शुद्धतम अवस्था में बनाई जाए तो यह कहावत सत्य होते देर नहीं लगती के सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे अर्थात बिना दुष - प्रभाव के सर्वरोगों का नाश शुद्ध आयुर्वेदिक दवा द्धारा ही संभव है।आयुर्वेदिक औषधियों की एक खासियत जान कर तो आप चौंक ही जायेंगे , वह है की एक ही औषधि का शरीर में घूम रहे सैकड़ों प्रकार के रोगों पर एक साथ प्रहार करना व उन्हें समाप्त करना।
आप की जानकारी के लिए बता दे की आयुर्वेद की प्रथम पुस्तक भगवान ब्रह्मा जी द्धारा ही स्वतः लिखी गई थी, जो समय व काल के अनुसार देव आदि गणों व ऋषिगणों ने अपने अपने विधान व तौर से लिखी।अर्थात स्पष्ट है शरीर का निर्माण करने वाला ही यदि औषधि की जानकारी दे दे तो उस जानकारी से अधिक उपयोगी शरीर को नीरोग रखने के लिए दूसरी कोई जानकारी नहीं हो सकती ,इसका साफ़ साफ़ अर्थ यह है की, आयुर्वेद के समान चिकत्सा पद्धति और कोई धरती पर मौजूद नहीं है,पर आज के समय में कलयुग के प्रभाव के कारण, मात्र धन प्राप्ति के उदेशय से लालची सवभाव के कारण औषधियों का निर्माण पुरातन विधि विधान द्धारा नहीं हो पा रहा और न ही औषधियों की शुद्धता पर कोई ध्यान दिया जा रहा,जिस के कारण यह अद्वित्य आयुर्वेदिक औषध शक्ति समाप्ति के कगार पर है। इस दयनीय हालत को देखते हुए शुद्धता सर्वप्रथम उदेश्य से निरंकार हर्ब द्धारा औषधियों का निर्माण शुरू किया गया। सर्वप्रथम निरंकार हर्ब्स द्धारा शुद्ध औषधि की पहचान कर उन्हे साफ़ सुथरी अवस्था में एकत्र किया जाता है,फिर उसी प्रकार औषधियों का निर्माण किया जाता है, जिस प्रकार महृषि सुश्रुत व महर्षि चरक आदि पुरातन काल में निर्मित किया करते थे। समय व धन का विचार त्याग कर औषधि निर्माण करने वाली कम्पनियाँ मात्र रोग मुक्ति व मानव कल्याण का विचार करते हुए औषधियों का निर्माण करे, तभी आयुर्वेदिक औषधियाँ पुरातन काल की तरह हवा से बातें करेगीं। ध्यान रखिए किसी भी औषधि का आधार शुद्ध आचार- विचार व शुद्ध कर्मो पर ही आधारित होता है। निरंकार हर्ब्स का मुख्य उदेश्य मात्र कलयुग में सतयुग की याद करवाने हेतु है, व उपरोक्त कहे गए सूत्रों पर कड़े नियमों द्धारा चल कर औषधि निर्माण का है। रामैरो डी. एस के शक्ति शाली प्रभाव को बताने के लिए हमें और अधिक शब्दों की आवश्यकता नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमारे customer care पर सम्पर्क करें :
विभिन्न प्रकार के रोगों में रामैरो डी.एस का प्रयोग :-
ज्वर :-आयुर्वेद में सभी प्रकार के ज्वारों को रोग राज के नाम से पुकारा जाता है,अर्थात ज्वर रोगों का राजा है।रामैरो डी.एस का प्रभाव सभी प्रकार के ज्वरों पर स्थाई रूप से पड़ता है। E. N. T से उत्पन्न ज्वरों में व बाहरी त्वचा पर जख्मों से उत्पन्न हुए ज्वरों के सिवाए,सभी ज्वरों में इस औषधि का प्रभाव अकथनीय है।यह औषधि ज्वर में पैदा हुए वात -पित्त -कफ़ दोषो को दूर करती है ,यह औषधि मल -मूत्र व पसीने द्धारा टॉक्सिन्स को बाहर करती है व ज्वर में पैदा होने वाली कमज़ोरी को दूर करके शरीर में शक्ति का संचार करती है। इस औषधि द्धारा चिकनगुनिया,डेंगू ,मलेरिया व सभी प्रकार के जिवाणुओं -विषाणुओं द्धारा उत्पन्न ज्वरों में पथ्य परहेज के साथ चलने से सरलता से ज्वर मुक्ति होती है।
यूरिक एसिड :- यूरिक एसिड रोग ख़राब भोजन प्रणाली, समय बे समय भोजन, गरिस्ट व बासी भोजन,कब्ज़ ,फ़ेट्टी लिवर ,परिश्रम न करने से,अधिक परिश्रम करने से,विरुद्ध आहार विहार के सेवन से उत्पन्न होता है। इस की चिकित्सा में रामैरो डी. एस बहुत ही अहम भूमिका अदा करती है ,सही दिनचर्या ,सात्विक भोजन व आयुर्वेदिक नियमों के साथ यदि रामैरो डी.एस का प्रयोग उचित मात्रा में किया जाता है तो यह औषधि खून में उपस्तिथ यूरिक एसिड की मात्रा को घटाती चली जाती है, व धीरे - धीरे जोड़ो में दर्द व सूजन भी घटता है।इस रोग में रामैरो डी. एस के साथ यदि निरंकार त्रिफला का प्रयोग किया जाता है तो रोगी को आशातीत लाभ प्राप्त होता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता का वर्धन :-हमारे शरीर में रोग- प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में रामैरो डी. एस बहुत अहम भूमिका अदा करती है। इस दवा का मुख्य कार्य रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में हमारी मदद करना है,रोग प्रतिरोधक क्षमता ही सही मायने में जीवन का आधार है शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रचूर मात्रा में होने पर आसानी से कोई भी रोग हमारे नज़दीक नहीं आता है। रामैरो डी. एस के 2 कैप्सूल्स सुबह खाली पेट जल के साथ और शाम को 2 कैप्सूल्स दूध के साथ सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का आपार वर्धन होता है।
श्वेत प्रदर :- स्त्रियों में यह रोग विशेष रूप से पाया जाता है ,अक्सर यह लिवर की गर्मी ,रजोनिवृत्ति का समय पर न होना,विरुद्ध आहार विहार का सेवन या भोजन को उपयुक्त समय पर न ग्रहण करना आदि कई कारणों से यह रोग स्त्रियों को घेरे रहता है। ऐसी अवस्था में यदि कब्ज हो तो रात को सोते समय एक चम्मच निरंकार त्रिफला + 2 कैप्सूल्स रामैरो डी. एस का सेवन गुनगुने जल से करना चाहिए व सुबह खाली पेट 3 ग्राम. निरंकार आंवला +2 रामैरो डी. एस पानी के साथ सेवन करें । रोग में लाभ प्राप्ति होगी साथ ही साथ खट्टी , तली -भुनी ,गरिष्ट आहार व अति संभोग का त्याग करना चाहिए।
गैस-बदहज़मी संबंधित रोगों के लिए: - गैस, बदहज़मी और पेट से संबंधित सभी विकारों के लिए रामैरो डी. एस 2 कैप्सूल्स +1 चम्मच निरंकार आंवला चूरन सुबह खाली पेट सेवन करें, रात को सोते समय 2 कैप्सूल्स रामैरो डी.एस + 1 चम्मच निरंकार त्रिफला का दूध या जल से सेवन करें, दोपहर में 3 ग्राम,निरंकार आंवला चूरन व 1 चुटकी काला नमक प्रयोग करें
नोट: - निरंकार सत मुलेठी 1 ग्राम +2 लोंग व रामैरो भी पेट सम्बन्धी रोगो में अत्यंत लाभकारी है।
चर्म रोगों के लिए: - सभी प्रकार के चर्म रोगों में रामैरो डी.एस का प्रयोग 2 -2 कैप्सूल की मात्रा में सुबह शाम मजिष्ठादि कषायम व निम्बादि कषायम के साथ तथा 1 चम्म्च त्रिफला +2 कैप्सूल्स डी.स रात को सोते समय मीठे दूध के साथ सेवन करने से अत्यंत लाभ होता है।
नोट: -अधिक लाभ के लिए नीम, हल्दी, एलोवेरा व निरंकार त्रिफला के लेप द्वारा स्नान करें व रोग ग्रस्त स्थान पर निरंकार हर्बेरौ क्रीम का प्रयोग करें।
मस्तिष्क विकारों के लिए: - सभी प्रकार के मस्तिष्क विकारों में रामैरो डी. एस का प्रयोग ब्राह्मी घृत के साथ उपयोगी है। दो कैप्सूल रामैरो डी. एस के साथ आधा चम्मच ब्राह्मी घृत, गौ दुग्ध के साथ सुबह- शाम सेवन करना चाहिए व नित्य गौ घृत का नस्य लेना चाहिए।
नोट: - यदि निरंकार आंवला पाउडर व सारस्वतारिस्ट का प्रयोग भी साथ किया जाए तो अत्यंत लाभ मिलता है।
दूध वर्धन के लिए: - सौंफ, जीरा, इलायची, सतावरी, बिनोला गिरी कूट-छान कर भली भांति मिला कर रख लेवें ,आधा चम्मच की मात्रा में 2 कैप्सूल रामैरो डी. एस के सुबह- दोपहर- शाम गौ दुग्ध के साथ लेने से व दवा सेवन के 1 घंटा पहले व 1 घंटा बाद तक कुछ भी लेने से अत्यंत लाभ होता है।
नोट: -दवा के साथ- साथ स्तनो पर गरम अरंडी के तैल द्वारा गोलाकार स्तिथि में मालिश करने से व गरम बोतल के सेक करने से तेजी से लाभ होता है।
काम शक्ति वर्धन के लिए: - रामैरो डी. एस का प्रयोग निरंकार सत - मुलेठी के साथ अत्यंत लाभप्रद है। 1 ग्राम निरंकार सत मुलेठी +2 रामैरो डी. एस कैप्सूल्स सुबह शाम दूध के साथ सेवन करें, परहेज - खट्टे पदार्थो का त्याग करें ।
थकान: - शरीर में लगातार थकान बने रहना ख़ास तोर पर स्त्रियों में कुछ भी नहीं करने का दिल करने या थोड़ा कार्य करने पर थक जाना, ऐसी स्थिति में 3 ग्राम निरंकार आंवला चूरन +2 रामैरो डी.एस सुबह जल से व शाम को दूध से सवन करे। यदि आप थके माँदे कहीं से आये हैं और काफी थकान महसूस कर रहे हैं तो इसी योग को ठंडे दूध के साथ सेवन करने से तुरंत शक्ति वर्धन होता है।
शुगर के लिए: - रामैरो डी.एस का शुगर में स्पष्ट रूप से प्रभाव देखा जा सकता है। रामैरो डी. एस में वात -पित्त -कफ़ को समान करने के विशेष गुण होने के कारण यह मधुमेह रोग में आशातीत लाभ करता है। मधुमेह की कमज़ोरी को दूर कर शारीरिक शक्ति प्रदान करना, काम शक्ति में आई कमज़ोरी को हटाना,मधुमेह में वज़न गिरने की प्रतिकिर्या पर रोक लगाना मुख्य कार्य है। इस बीमारी को अपनी दिनचर्या द्वारा केवल नियंत्रित किया जा सकता है। सुबह राजा, दोपहर में वज़ीर व रात को फ़क़ीर की विधि से हल्का, सुपाच्य व रेशे युक्त भोजन करते हुए, साथ ही साथ 2 कैप्सूल रामैरो डी. एस + 1 चम्मच निरंकार त्रिफला चूर्ण सुबह सवेरे 2 गिलास जल के साथ व 2 कैप्सूल शाम को 4 से 5 बजे के बीच में सेवन करें।
नोट: -त्रिफला की मात्रा अपनी उम्र व बल के अनुसार कम या अधिक भी की जा सकती है।