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निरंकार हर्ब्स द्वारा निर्मित रामैरौ मेडिसिन पूर्णतः आयुर्वेदिक एक एंटीफीवर दवा है ,जो की कई सालों के शोध के बाद व बड़े बड़े आयुर्वेद के वैद्यों के अथक प्रयासों द्वारा निर्मित है। इस दवा की ख़ास बात यह है की यह मुँह में जाते ही सर्वप्रथम यकृत (लिवर ) सम्बन्धी रोगों पर तेजी से कार्य शरू कर देती है,समस्त प्रकार के ज्वरो में इस औषधि का प्रभाव अकथनीय है। दवा में प्रयोग होने वाली सभी जड़ी-बूटियों को साफ़ सुथरी अवस्था में एकत्र कर पुरातन विधि विधान से सत्वों (एक्सट्रैक्ट्स )का निर्माण किया जाता है,इन अनेकों सत्वों को पुरातन विधि -विधान द्वारा निर्मित करने में बहुत अधिक धैर्य रखना होता है,कई दिनों की कड़ी व पूर्ण ध्यानयुक्त मेहनत के बाद औषधि को पूर्णता प्राप्त होती है। औषधि में साफ़ सफाई ,शुद्धता व औषधि की गुणवक्ता का निरंकार हर्ब्स द्वारा ख़ास तौर से ध्यान रखा जाता है। औषधि में किसी भी प्रकार का प्रेज़रवेटिव या केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता है। प्रयास यह है की इस घोर कलयुग में भी हम शुद्धता ,स्वच्छता व ऋषियों के दिए गए पुरातन नियमों व विधि विधानों पर अडिग चलते हुए उत्तम से उत्तम औषधियों का निर्माण कर सकें। आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण की जो प्रक्रिया शास्त्रों में समझाई गई है,हम उसी प्रक्रिया द्वारा औषधियों का निर्माण करते हैं ,इसी कारण से रामैरौ मेडिसिन अपने अत्यंत शक्तिशाली प्रभाव का प्रदर्शन करती है।
रामैरौ मेडिसिन द्वार रोगों का नाश :- निरंकार रामैरौ मेडिसिन का प्रयोग कठिन से कठिन ज्वरों में किया जाता है। यह मेडिसिन ठीक न होने वाले ज्वरों के लिए व पुराने से पुराने ज्वरों के लिए अति तीव्रता से कार्य करती है। यह आयुर्वेदिक जड़ी- बूटियों का बड़ा ही प्रभावशाली योग है।पुराने ज्वरों की स्थिति में:- 2 -2 रामैरौ कैप्सूल्स गुनगुने जल से दो से तीन बार प्रयोग कर सकते है।
लिवर सम्बन्धी रोगों में :-निरंकार रामैरौ मेडिसिन जीभ पर रखते ही लिवर पर कार्य करना आरम्भ कर देती है। सबसे पहले यह लिवर व अन्य पाचन सम्बन्धी तंत्र पर ही कार्य करती है। पेट में गैस ,बदहजमी ,भोजन करने के बाद पेट का फूलना,भूख न लगना ,ऑव आदि कई विकारों पर यह दवा कार्य करती है ,ऐसी अवस्थाओं में 2 कैप्सूल सुबह खाली पेट नारीयल के जल से व शाम 5 से 6 बजे के बीच गुनगुने जल से सेवन करें।
शक्तिशाली पाचन प्रणाली :-साधारण स्थितियों में भी इस दवा का प्रयोग पाचन शक्ति के वर्धन के लिए किया जा सकता है,क्योंकी यह हमारे जठर अग्नि की रक्षा करती है व जठर अग्नि का वर्धन करती है। 2 कैप्सूल सुबह खाली पेट नारीयल के जल से व शाम 5 से 6 बजे के बीच गुनगुने जल से 2 से 3 माह तक सेवन करें।
नोट :- ऐसी स्थिति में निरंकार आंवला चूर्ण काले नमक के साथ व त्रिफला चुर्ण गुनगुने जल के साथ भी प्रयोग किया जा सकता है।
रक्त शोधन :- रामैरौ में रक्त शोधक गुण भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। यह दवा खून में पैदा हुई अनेकों प्रकार की खराबियों को दूर करने का कार्य करती है,और यदि खून में खराबी पेट के रोगों के कारण होती है, ऐसी स्थिति में रामैरौ मेडिसिन पेट संबंधित रोगों को भी दूर करने का कार्य करती है।रक्त शोधन के लिए 2 -2 कैप्सूल नारीयल के जल या गुनगुने जल से सेवन करें व नमक खटाइ का परहेज करें।